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मुख्य पृष्ठ >> Womendevelopment >> राष्‍ट्रीय महिला सशक्‍तीकरण नीति

राष्‍ट्रीय महिला सशक्‍तीकरण नीति (2001)

परिचय

जेंडर समानता का सिद्धांत भारतीय संविधान की प्रस्‍तावना, मौलिक अधिकारों, मौलिक कर्तव्‍यों और नीति निर्देशक सिद्धांतों में प्रतिपादित है। संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है अपितु राज्‍य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्‍मक भेदभाव के उपाय करने की शक्‍ति भी प्रदान करता है।

लोकतांत्रिक शासन व्‍यवस्‍था के ढांचे के अंतर्गत हमारे कानूनों, विकास संबंधी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों में विभिन्‍न क्षेत्रों में महिलाओं की उन्‍नति को उद्देश्‍य बनाया गया है। पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78) से महिलाओं से जुड़े मुद्दों के प्रति कल्‍याण की बजाय विकास का दृष्‍ठिकोण अपनाया जा रहा है। हाल के वर्षों में, महिलाओं की स्‍थिति को अभिनिश्‍चित करने में महिला सशक्‍तीकरण को प्रमुख मुद्दे के रूप में माना गया है। महिलाओं के अधिकारों एवं कानूनी हकों की रक्षा के लिए वर्ष 1990 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्‍ट्रीय महिला आयोग की स्‍थापना की गई। भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशेाधनों (1993) के माध्‍यम से महिलाओं के लिए पंचायतों और नगरपालिकाओं के स्‍थानीय निकायों में सीटों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जो स्‍थानीय स्‍तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

1.3 भारत ने महिलाओं के समान अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय अभिसमयों और मानवाधिकार लिखतों की भी पुष्टि की है। इनमें से एक प्रमुख वर्ष 1993 में महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्‍ति पर अभिसमय (सीईडीएडब्‍ल्‍यू) की पुष्टि ह

1.4 मेक्‍सिको कार्य योजना (1975), नैरोबी अग्रदर्शी रणनीतियां (1985), बीजिंग घोषणा और प्‍लेटफार्म फॉर एक्‍शन (1995) और जेंडर समानता तथा विकास और शांति पर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा सत्र द्वारा 21वीं शताब्‍दी के लिए अंगीकृत "बीजिंग घोषणा एवं प्‍लेटफार्म फॉर एक्‍शन को कार्यान्‍वित करने के लिए और कार्रवाइयां एवं पहलें" नामक परिणाम दस्‍तावेज को समुचित अनुवर्ती कार्रवाई के लिए भारत द्वारा पूर्णतया पृष्‍ठांकित कर दिया गया है।

1.5 इस नीति में नौवीं पंचवर्षीय योजना की प्रतिबद्धताओं एवं महिलाओं के सशक्‍तीकरण से संबंधित अन्‍य सेक्‍टोरल नीतियों को भी ध्‍यान में रखा गया है।

1.6 महिला आंदोलन और गैर सरकारी संगठनों, जिनकी बुनियादी स्‍तर पर सशक्‍त उपस्‍थिति है एवं जिन्‍हें महिलाओं के सरोकारों की गहन समझ है, के व्‍यापक नेटवर्क ने महिलाओं के सशक्‍तीकरण के लिए पहलों को शुरू करने में योगदान किया है।

1.7 तथापि, एक ओर संविधान, विधानों, नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों, और सम्‍बद्ध तंत्रों में प्रतिपादित लक्ष्‍यों तथा दूसरी ओर भारत में महिलाओं की स्‍थिति के संबंध में परिस्‍थितिजन्य वास्‍तविकता के बीच अभी भी बहुत बड़ा अंतर है। भारत में महिलाओं की स्‍थिति पर समिति की रिपोर्ट "समानता की ओर", 1974 में इसका विस्‍तृत रूप से विश्‍लेषण किया गया है और महिलाओं के लिए राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य योजना, 1988-2000, श्रम शक्‍ति रिपोर्ट, 1988 और कार्रवाई के लिए मंच, आकलन के पश्‍चात पांच वर्ष’’ में रेखांकित किया गया है।

1.8 जेंडर संबंधी असमानता कई रूपों में उभरकर सामने आती है, जिसमें से सबसे प्रमुख विगत कुछ दशकों में जनसंख्‍या में महिलाओं के अनुपात में निरंतर गिरावट की रूझान है। सामाजिक रूढ़ीवादी सोच और घरेलू तथा समाज के स्‍तर पर हिंसा इसके कुछ अन्‍य रूप हैं। बालिकाओं, किशोरियों तथा महिलाओं के प्रति भेदभाव भारत के अनेक भागों में जारी है।

1.9 जेंडर संबंधी असमानता के आधारभूत कारण सामाजिक और आर्थिक ढांचे से जुड़े हैं, जो अनौपचारिक एवं औपचारिक मानकों तथा प्रथाओं पर आधारित है।

1.10 परिणामस्‍वरूप, महिलाओं और खासकर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्‍य पिछड़ा वर्ग और अल्‍पसंख्‍यकों सहित कमजोर वर्गों की महिलाओं, जो अधिकांशत: ग्रामीण क्षेत्रों में और अनौपचारिक, असंगठित क्षेत्र में हैं, की अन्‍यों के अलावा शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और उत्‍पादक संसाधनों तक पहुंच अपर्याप्‍त है। अत: वे ज्‍यादातर सीमांत, गरीब और सामाजिक रूप से वंचित रह जाती हैं।

लक्ष्य और उद्देश्‍य

1.11 इस नीति का लक्ष्‍य महिलाओं की उन्‍नति, विकास और सशक्‍तीकरण करना है। इस नीति का व्‍यापक प्रसार किया जाएगा ताकि इसके लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी प्रोत्‍साहित की जा सके। विशेष रूप से, इस नीति के उद्देश्‍यों में निम्‍नलिखित शामिल हैं:

  • (i) सकारात्‍मक आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्‍यम से महिलाओं के पूर्ण विकास के लिए वातावरण बनाना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता को साकार करने में समर्थ हो सकें |
  • (ii) राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक, सामाजिक, सांस्‍कृतिक और सिविल - सभी क्षेत्रों में पुरूषों के साथ साम्‍यता के आधार पर महिलाओं द्वारा सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्‍वतंत्रता की विधित: और वस्‍तुत: प्राप्ति |
  • (iii) राष्‍ट्र के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में भागीदारी करने और निर्णय लेने में महिलाओं की समान पहुंच |
  • (iv) स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, सभी स्‍तरों पर गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा, करियर और व्‍यावसायिक मार्गदर्शन, रोजगार, बराबर पारिश्रमिक, व्‍यावसायिक स्‍वास्‍थ्‍य तथा सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सरकारी कार्यालय आदि में महिलाओं की समान पहुंच |
  • (v) महलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्‍ति के लिए विधिक प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण |
  • (vi) महिलाओं और पुरूषों दोनों की सक्रिय भादीदारी और संलिप्‍तता के माध्‍यम से सामाजिक सेाच ओर सामुदायिक प्रथाओं में परिवर्तन लाना |
  • (vii) विकास की प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्‍य को शामिल करना |
  • (viii) महिलाओं और बालिका के प्रति भेदभाव और सभी प्रकार की हिंसा को समाप्‍त करना, और
  • (ix) सभ्‍य समाज, विशेष रूप से महिला संगठनों के साथ साझेदारी का निर्माण करना और उसे सुदृढ़ बनाना।

नीति निर्धारण
न्‍यायिक-विधिक प्रणालियां

विधिक-न्‍यायिक प्रणाली को महिलाओं की आवश्‍यकताओं, विशेष रूप से घरेलू हिंसा और वैयक्‍तिक हमले के मामलों में अधिक अनुक्रियाशील तथा जेंडर सुग्राही बनाया जाएगा। त्‍वरित न्‍याय और अपराध की गंभीरता के समनुरूप दोषियों को दण्‍डित करने का सुनिश्‍चय करने के लिए नए कानून अधिनियमित किए जाएंगे और विद्यमान कानूनों की पुनरीक्षा की जाएगी।

2.2 सामुदायिक तथा धार्मिक नेताओं सहित सभी हितधारकों की पहल पर और उनकी पूर्ण सहभागिता से, इस नीति का उद्देश्‍य महिलाओं के प्रति भेदभाव को समाप्‍त करने के लिए विवाह, विवाह विच्‍छेद, गुजारा भत्‍ता और अभिभावकत्‍व से संबंधित व्‍यक्‍तिगत कानूनों में परिवर्तन को प्रोत्‍साहित करना होगा। .

2.3 पित्रसत्‍तात्‍मक सामाजिक प्रणाली में सम्पत्ति संबंधी अधिकारों के विकास ने महिलाओं के अधीनस्‍थ स्‍टेटस में योगदान किया है। इस नीति का उद्देश्‍य सम्पत्ति के स्‍वामित्‍व और उत्‍तराधिकार से संबंधित कानूनों को जेंडर की दृष्‍टि से न्‍यायपूर्ण बनाने के लिए आम सहमति बनाने से इन कानूनों में परिवर्तनों को प्रोत्‍साहित करना है।

निर्णय लेना

3.1 सशक्‍तीकरण के लक्ष्यों को प्राप्‍त करने के लिए सभी स्‍तरों पर राजनीतिक प्रक्रिया में निर्णय लेना सहित, सत्‍ता की साझेदारी और निर्णय लेने में महिलाओं की बराबर की भागीदारी सुनिश्‍चित की जाएगी। विधायी, शासकीय, न्‍यायिक, कोर्पोरेट, संवैधानिक निकायों तथा सलाहकार आयोगों, समितियों, बोर्डों, न्‍यासों आदि सहित प्रत्‍येक स्‍तर पर नीति निर्धारण वाले निकायों में महिलाओं की समान पहुंच एवं पूर्ण सहभागिता की गारंटी के लिए सभी उपाय किए जाएंगे। जहां कहीं भी आवश्‍यक होगा, उच्‍चतर विधायी निकायों में भी आरक्षण/कोटा समेत आरक्षण/कोटा जैसी सकारात्‍मक कार्रवाई पर समयबद्ध आधार पर विचार किया जाएगा। विकास प्रक्रिया में महिलाओं की महिलाओं की प्रभावी सहभागिता को प्रोत्‍साहित करने के लिए महिला अनुकूल वैयक्तिक नीतियां भी बनाई जाएंगी।.

विकास प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्‍य को शामिल करना

4.1 उत्‍प्रेरक, भागीदार और प्राप्‍तकर्ता के रूप में विकास की सभी प्रक्रियाओं में महिलाओं के परिप्रेक्ष्‍यों का समावेशन सुनिश्‍चित करने के लिए नीतियां, कार्यक्रम और प्रणालियां बनाई जाएंगी। जहां कहीं भी नीतियों और कार्यक्रमों में दूरियां होंगी वहां इन दूरियों को पाटने के लिए महिला विशिष्‍ट उपाय किए जाएंगे। मेनस्‍ट्रीमिंग के ऐसे तंत्रों की प्रगति का समय-समय पर आकलन करने के लिए समन्‍वय तथा मॉनीटरिंग तंत्र भी स्‍थापित किए जाएंगे। इसके परिणामस्‍वरूप महिलाओं से संबंधित मुद्दों और सरोकारों का विशेष रूप से निराकरण होगा और ये सभी संबंधित कानूनों, क्षेत्रीय नीतियों, कार्रवाई योजनाओं और कार्यक्रमों में दिखाई देंगे।

महिलाओं का आर्थिक सशक्‍तीकरण
गरीबी उन्‍मूलन

5.1 चूंकि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों में महिलाओं की जनसंख्‍या बहुत ज्‍यादा है और वे ज्‍यादातर परिस्‍थितियों में अत्‍यधिक गरीबी में रहती हैं, अन्‍तर गृह और सामाजिक कड़वी सच्‍चाइयों को देखते हुए, समष्‍टि आर्थिक नीतियां और गरीबी उन्‍मूलन कार्यक्रम ऐसी महिलाओं की आवश्‍यकताओं और समस्‍याओं का विशेष रूप से निराकरण करेंगे। ऐसे कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में सुधार होगा जो पहले से ही महिलाओं के लिए विशेष लक्ष्‍य के साथ महिला उन्‍मुख हैं। महिलाओं की सक्षमताओं में वृद्धि के लिए आवश्‍यक समर्थनकारी उपायों के साथ उन्‍हें अनेक आर्थिक और सामाजिक विकल्‍प उपलब्‍ध कराकर गरीब महिलाओं को एकजुट करने तथा सेवाओं की समभिरूपता के लिए कदम उठाए जाएंगे।

माइक्रो क्रेडिट

5.2 उपभोग तथा उत्‍पादन के लिए ऋण तक महिलाओं की पहुंच में वृद्धि के लिए, नए सूक्ष्म-ऋण तन्‍त्रों तथा सूक्ष्‍म वि‍त्‍तीय संस्‍थाओं को स्‍थापित किया जाएगा एवं मौजूदा सूक्ष्म-ऋण तन्‍त्रों तथा सूक्ष्‍म वि‍त्‍तीय संस्‍थाओं को सुद़ृढ़ कि‍या जाएगा ताकि ऋण की पहुँच को बढ़ाया जाए। वर्तमान वित्‍तीय संस्‍थाओं तथा बैंकों के माध्‍यम से ऋण का पर्याप्‍त प्रवाहको सुनि‍श्चित करने के लिए अन्‍य सहायक उपाय किए जाएंगे ताकि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली सभी महलिाओं की ऋण तक पहुँच सरल हो। .

महिलाएं और अर्थव्‍यवस्‍था

5.3 ऐसी प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी को संस्‍थागत बनाकर बृहद् आर्थिक और सामाजिक नीतियों के निर्माण एवं कार्यान्‍वयन में महिलाओं के परिप्रेक्ष्‍य को शामिल किया जाएगा। उत्‍पादकों तथा कामगारों के रूप में सामाजिक-आर्थिक विकास में उनके योगदान को औपचारिक और गैर औपचारिक (घर में काम करने वाले कामगार भी शामिल) क्षेत्रों में मान्‍यता दी जाएगी तथा रोजगार और उनकी कार्यदशाओं से संबंधित समुचित नीतियां बनाई जाएंगी। इन उपायों में निम्‍नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • उत्‍पादकों और कामगारों के रूप में महिलाओं के योगदान को प्रतिबिम्‍बित करने के लिए, जहां भी आवश्‍यक हो, जैसे कि जनगणना रिकार्ड में, काम की परम्‍परागत संकल्‍पनाओं की पुन: व्‍याख्‍या करना तथा पुन: परिभाषित करना।
  • उपग्रह एवं राष्‍ट्रीय लेखा तैयार करना।
  • उपरोक्‍त (i) और (ii) को संपन्‍न करने के लिए उपयुक्‍त कार्य पद्धतियों का विकास।

भूमंडलीकरण

भूमंडलीकरण ने महिलाओं की समानता के उद्देश्‍य को प्राप्‍त करने के लिए नई चुनौतियां प्रस्‍तुत की हैं जिसके जेंडर प्रभाव का मूल्‍यांकन व्‍यवस्‍थित ढंग से नहीं किया गया। तथापि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा करवाए गए सूक्ष्‍म स्‍तरीय अध्‍ययनों से स्‍पष्‍ट तौर पर पता चला है कि रोजगार तक पहुंच तथा रोजगार की गुणवत्‍ता के लिए नीतियों को दोबारा बनाने की आवश्‍यकता है। बढ़ती वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के लाभ समान रूप से वितरित नहीं हुए हैं जिससे विशेष रूप से अनौपचारिक आर्थिक और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: बिगड़ती जा रही कार्यदशाओं तथा असुरक्षित कार्य परिवेश के कारण व्‍यापक आर्थिक असमानताओं, महिलाओं में निर्धनता, लैंगिक असमानता में वृद्धि का मार्ग प्रशस्‍त हुआ है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से निकलने वाले नकारात्‍मक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए महिलाओं की क्षमता बढ़ाने तथा उन्‍हें सशक्‍त बनाने के लिए कार्यनीतियां बनाई जाएंगी।

महिलाएं और कृषि

5.5 कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उत्‍पादक के रूप में महिलाओं की महत्‍वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, संकेंद्रित प्रयास किए जाएंगे जिससे यह सुनिश्‍चित हो कि प्रशिक्षण, विस्‍तार और विभिन्‍न कार्यक्रमों के लाभ उनकी संख्‍या के अनुपात में उन तक पहुंचें। कृषि क्षेत्र के महिला कामगारों को लाभ पहुंचाने के लिए मृदा संरक्षण, सामाजिक वानिकी, डेयरी विकास और कृषि से संबद्ध अन्‍य व्‍यवसायों जैसे कि बागवानी, लघु पशुपालन सहित पशुधन, मुर्गी पालन, मत्‍स्‍य पालन इत्‍यादि में महिला प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्‍तार किया जाएगा।

महिलाएं और उद्योग

5.6 इलेक्‍ट्रानिक्‍स, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्‍करण एवं कृषि उद्योग तथा वस्‍त्र उद्योग में महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्‍वपूर्ण भूमिका इन क्षेत्रों के विकास में बहुत महत्‍वपूर्ण रही है। विभिन्‍न औद्योगिक क्षेत्रों में भागीदारी के लिए उन्‍हें श्रम विधान, सामाजिक सुरक्षा और अन्‍य सहायता सेवाओं के रूप में व्‍यापक सहायता दी जाएगी।

5.7 इस समय महिलाएं चाहकर भी कारखानों में रात्रि पारी में काम नहीं कर सकती हैं। महिलाओं को रात्रि पारी में काम करने में समर्थ बनाने के लिए उपयुक्‍त उपाय किए जाएंगे। इसके लिए उन्‍हें सुरक्षा, परिवहन इत्‍यादि जैसी सहायता सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी।

सहायता सेवाएं

5.8 महिलाओं के लिए सहायता सेवाओं जैसे कि बाल देखाभल सुविधाएं जिनमें कार्यस्‍थलों और शैक्षणिक संस्‍थाओं में क्रेच भी शामिल है, वृद्धों और नि:शक्‍त लेागों के लिए गृहों का विस्‍तार तथा सुधार किया जाएगा ताकि परिवेश को अनुकूल बनाया जाए तथा सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक जीवन में उनका पूर्ण सहयोग सुनिश्‍चित किया जाए। विकासात्‍मक प्रक्रिया में प्रभावशाली ढंग से भाग लेने के लिए महिलाओं को प्रोत्‍साहित करने हेतु महिला अनुकूल कार्मिक नीतियां बनाई जाएंगी।

महिलाओं का सामाजिक सशक्‍तीकरण
शिक्षा

6.1 महिलाओं और लड़िकयों के लिए शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित किया जाएगा। भेदभाव मिटाने, शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने, निरक्षरता को दूर करने, लिंग संवेदी शिक्षा पद्धति बनाने, लड़कियों के नामांकन और अवधारण की दरों में वृद्धि करने तथा महिलाओं द्वारा रोजगार/व्‍यावसायिक/तकनीकी कौशलों के साथ-साथ जीवन पर्यन्‍त शिक्षण को सुलभ बनाने के लिए शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे। माध्‍यमिक और उच्‍च शिक्षा में लिंग भेद को कम करने की ओर ध्‍यानाकर्षित किया जाएगा। लड़कियों और महिलाओं, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों/अन्‍य पिछड़ा वर्गों/अल्‍पसंख्‍यकों समेत कमजोर वर्गों की लड़कियों और महिलाओं पर विशेष ध्‍यानाकर्षित करते हुए मौजूदा नीतियों में समय संबंधी सेक्‍टोरल लक्ष्‍यों को प्राप्‍त किया जाएगा। लिंग भेद के मुख्‍य कारणों में एक के रूप में लैंगिक रूढि़बद्धता का समाधान करने के लिए शिक्षा पद्धति के सभी स्‍तरों पर लिंग संवेदी कार्यक्रम विकसित किए जाएंगे।

स्‍वास्‍थ्‍य

6.2 महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य, जिसमें पोषण और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं दोनों शामिल हैं, के प्रति सम्‍पूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाएगा और जीवन चक्र के सभी स्‍तरों पर महिलाओं तथा लड़कियों की आवश्‍यकताओं पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। बाल मृत्‍यु दर और मातृ मृत्‍यु दर, जो मानव विकास के संवेदनशील संकेतक हैं, को कम करने को प्राथमिकता दी जाती है। यह नीति राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या नीति 2000 में निर्दिष्‍ट बाल मृत्‍यु दर (आईएमआर), मातृ मृत्‍यु दर (एमएमआर) के लिए जन सांख्‍यिकी के राष्‍ट्रीय उद्देश्‍यों को दोहराती है। महिलाओं की व्‍यापक, किफायती और कोटिपरक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल तक पहुंच होनी चाहिए। ऐसे उपाय अपनाए जाएंगे जो महिलाओं को सूचित विकल्‍पों का प्रयोग करने में समर्थ बनाने के लिए उनके प्रजनन अधिकारों, लैंगिक और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जिसमें स्‍थानिक, संक्रामक और संचारी बीमारियां जैसे कि मलेरिया, टीबी और पानी से उत्‍पन्‍न बीमारियों के साथ-साथ उच्‍च रक्‍तचाप और हृदय रोग के प्रति अरक्षिता का ध्‍यान रखा जाएगा। एचआईवी/एड्स तथा अन्‍य यौन संचारित बीमारियों के सामाजिक, विकासात्‍मक और स्‍वास्‍थ्‍य परिणामों से लिंग परिप्रेक्ष्‍य में निपटा जाएगा।

6.3 शिशु और मातृ मृत्‍यु दर तथा बाल विवाह जैसी समस्‍याओं से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए मृत्‍यु, जन्‍म और विवाहों के सूक्ष्‍म स्‍तर पर अच्‍छे और सटीक आंकड़ों की उपलब्‍धता अपेक्षित है। जन्‍म और मृत्‍यु के पंजीकरण का सख्‍ती से अनुपालन सुनिश्‍चित किया जाएगा तथा विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य किया जाएगा।

6.4 राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या नीति ( 2000) की जनसंख्‍या स्‍थिरीकरण संबंधी प्रतिबद्धता के अनुसरण में, यह नीति इस महत्‍वपूर्ण आवश्‍यकता को स्‍वीकार करती है कि परिवार नियोजन की अपनी पसंद की सुरक्षित, प्रभावी और किफायती विधियों तक पुरूषों और महिलाओं की पहुंच होनी चाहिए तथा बाल विवाह एवं बच्‍चों में अन्‍तर रखने जैसे मुद्दों का उपयुक्‍त ढंग से समाधान किया जाना चाहिए। शिक्षा का प्रसार, विवाह का अनिवार्य पंजीकरण जैसे हस्‍तक्षेप और बीएसवाई जैसे विशेष कार्यक्रम विवाह की आयु में देरी करने में प्रभाव डालेंगे ताकि 2010 तक बाल विवाह की प्रथा समाप्‍त की जा सके।

6.5 समुचित प्रलेखन के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और पोषण के बारे में महिलाओं के परम्‍परागत ज्ञान को मान्‍यता दी जाएगी और उसके प्रयोग को प्रात्‍साहित किया जाएगा। महिलाओं के लिए उपलब्‍ध समग्र स्‍वास्‍थ्‍य अवसंरचना की रूपरेखा के अंदर दवा की भारतीय और वैकल्‍पिक पद्धतियों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

पोषण

6.6 चूंकि महिलाओं को तीनों महत्‍वपूर्ण चरणों अर्थात शैशवकाल एवं बाल्‍यकाल, किशोरावस्‍था और प्रजनन चरण के दौरान कुपोषण और बीमारी का खतरा अधिक होता है, इसलिए महिलाओं के जीवन चक्र के सभी स्‍तरों पर पोषण संबंधी आवश्‍यकताओं को पूरा करने पर संकेंद्रित ध्‍यान दिया जाएगा। किशोरियों, गर्भवती और धात्री माताओं के स्‍वास्‍थ्‍य तथा शिशुओं और बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के बीच गहरा संबंध होने के कारण भी यह महत्‍वपूर्ण है। विशेष रूप से गर्भवती और धात्री महिलाओं में वृहद् और सूक्ष्‍म पोषण की कमियों की समस्‍या से निपटने के लिए विशेष प्रयत्‍न किए जाएंगे क्‍योंकि इससे विभिन्‍न प्रकार की बीमारियां और अपंगताएं होती हैं।

6.7 उपयुक्‍त कार्यनीतियों के माध्‍यम से लड़कियों और महिलाओं के पोषण संबंधी मामलों में घरों के अन्‍दर भेदभाव को समाप्‍त करने का प्रयास जाएगा। घरों के अन्‍दर पोषण में असमानता के मुद्दों और गर्भवती तथा धात्री महिलाओं की विशेष आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान देने के लिए पोषण शिक्षा का व्‍यापक प्रयोग किया जाएगा। पद्धति की आयोजना, पर्यवेक्षण और प्रदायगी में भी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्‍चित की जाएगी।

पेयजल और स्‍वच्‍छता

6.8 विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी मलिन बस्‍तियों में सुरक्षित पेयजल, सीवेज के निस्‍तारण, शौचालय की सुविधाओं और परिवारों की आसान पहुंच के अंदर स्‍वच्‍छता की सुविधाओं का प्रावधान करने में महिलाओं की आवश्‍यकताओं पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा। इस प्रकार की सेवाओं की आयोजना, प्रदायगी और रख-रखाव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्‍चित की जाएगी।

आवास और आश्रय

6.9 ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आवास नीतियों, आवासीय कालोनियों की आयोजना और आश्रय के प्रावधान में महिलाओं के परिप्रेक्ष्‍य को शामिल किया जाएगा। महिलाओं जिसमें एकल महिलाएं भी शामिल हैं, घरों की मुखिया, कामकाजी महिलाओं, विद्यार्थियों, प्रशिक्षुओं और प्रशिक्षार्थियों के लिए पर्याप्‍त और सुरक्षित गृह तथा आवास प्रदान करने पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा।

पर्यावरण

6.10 पर्यावरण संरक्षण और जीर्णोद्धार से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों में महिलाओं को शामिल किया जाएगा एवं उनके परिप्रेक्ष्‍यों को प्रतिबिंबित किया जाएगा। उनकी आजीविका पर पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को ध्‍यान में रखते हुए, पर्यावरण का संरक्षण करने और पर्यावरणीय विकृति का नियंत्रण करने में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्‍चित की जाएगी। ग्रामीण महिलाओं का अधिकांश भाग आज भी स्‍थानीय रूप से उपलब्‍ध ऊर्जा के गैर वाणिज्यिक स्रोतों जैसे कि जानवरों का गोबर, फसलों का अवशिष्‍ट और ईंधन लकड़ी पर निर्भर है। इन ऊर्जा स्रोतों का पर्यावरण अनुकूल ढंग से दक्ष प्रयोग सुनिश्‍चित करने के लिए, गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के कार्यक्रमों को प्रोन्‍नत करना नीति का उद्देश्‍य होगा। महिलाओं को सौर ऊर्जा, बायोगैस, धूँआं रहित चूल्‍हों और अन्‍य ग्रामीण संसाधनों के प्रयोग को प्रचारित करने में शामिल किया जाएगा ताकि पारिस्‍थितिकी प्रणाली को प्रभावित करने और ग्रामीण महिलाओं की जीवन शैली को परिवर्तित करने में इन उपायों का स्‍पष्‍ट प्रभाव पड़े।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी

6.11 विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं को और अधिक शामिल करने के लिए कार्यकमों को सुदृढ़़ किया जाएगा। इन उपायों में उच्‍च शिक्षा के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को चुनने के लिए लड़कियों को प्रेरित करना तथा यह भी सुनिश्‍चित शामिल होगा कि वैज्ञानिक और तकनीकी निविष्टियों वाली विकासात्‍मक परियोजनाओं में महिलाएं पूर्ण रूप से शामिल हों। वैज्ञानिक मनोदशा और जागृति को विकसित करने के प्रयासों को भी और भी अधिक बढ़ाया जाएगा। संचार और सूचना प्रोद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में उनके प्रशिक्षण के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे जिनमें उनके पास विशेष कौशल हैं। महिलाओं की आवश्‍यकताओं के अनुरूप उपयुक्‍त प्रौद्योगिकियां विकसित करने तथा साथ ही कोल्‍हू के बैल की तरह परिश्रम करते रहने की उनकी प्रथा को कम करने के प्रयासों पर भी विशेष ध्‍यान दिया जाएगा।

विकट परिस्‍थितिग्रस्‍त महिलाएं

6.12 महिलिाओं की परिस्‍थितियों में विविधता तथा विशेष रूप से वंचित समूहों की आवश्‍यकताओं को स्‍वीकार करते हुए, उन्‍हें विशेष सहायता प्रदान करने के लिए उपाय और कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इन समूहों में अत्‍यधिक गरीबी में रहने वाली महिलाएं, निराश्रित महिलाएं, टकराव की स्थितियों में रहने वाली महिलाएं, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित महिलाएं, कम विकसित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं, अशक्‍त विधवाएं, वृद्ध महिलाएं, विकट परिस्थितियों में रहने वाली एकल महिलाएं, परिवार प्रधान महिलाएं, रोजगार से विस्‍थापित महिलाएं, प्रवासी महिलाएं, वैवाहिक हिंसा की शिकार महिलाएं, परित्‍यक्‍त महिलाएं और वेश्‍याएं इत्‍यादि शामिल हैं।

महिलाओं के विरूद्ध हिंसा

7.1 महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार की हिंसा, चाहे यह शारीरिक हो अथवा मानसिक, घरेलू स्‍तर पर हो अथवा सामाजिक स्‍तर पर, जिसमें रिवाजों, परम्‍पराओं अथवा प्रचलित मान्‍यताओं से उत्‍पन्‍न हिंसा शामिल है, से प्रभावी ढंग से निपटना जाएगा ताकि ऐसी घटनाएं न घटें। कार्य स्‍थल पर यौन उत्‍पीड़न समेत ऐसी हिंसा एवं दहेज जैसी प्रथाओं की रोकथाम के लिए, हिंसा की शिकार महिलाओं के पुनर्वास के लिए और इस प्रकार की हिंसा करने वाले अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सहायता प्रदान करने वाली संस्‍थाओं और तंत्रों/स्‍कीमों का निर्माण किया जाएगा और उन्‍हें सुदृढ़ किया जाएगा। महिलाओं और लड़कियों के अवैध व्‍यापार से निपटने वाले कार्यक्रमों और उपायों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा।

लड़कियों के अधिकार

8.1 घर के अन्‍दर और बाहर निवारक और दण्‍डात्‍मक दोनों प्रकार के दृढ़ उपाय अपनाकर लड़कियों के विरूद्ध सभी प्रकार के भेदभाव तथा उनके अधिकारों के हनन को दूर किया जाएगा। ये विशेष रूप से प्रसवपूर्व लिंग चयन और बालिका भ्रूण हत्‍या के रिवाज, लड़कियों की शैशव काल में हत्‍या, बाल विवाह, बाल दुरूपयोग तथा बाल वेश्‍यावृत्‍ति इत्‍यादि के विरूद्ध बनाए गए कानूनों को सख्‍ती से लागू करने से संबंधित होंगे। परिवार के अंदर और बाहर लड़कियों के साथ व्‍यवहार में भेदभाव को दूर करने तथा लड़कियों की अच्‍छी छवि प्रस्‍तुत करने के कार्य को सक्रियता से प्रोत्‍साहित किया जाएगा। लड़कियों की आवश्‍यकताओं तथा भोजन और पोषण, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा और व्‍यावसायिक शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में पर्याप्‍त निवेश का लक्ष्‍य रखने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

जन संचार माध्‍यम

9.1 लड़कियों तथा महिलाओं की मानवीय अस्मिता से संगत छवि प्रस्‍तुत करने के लिए मीडिया का प्रयोग किया जाएगा। यह नीति विशिष्‍ट रूप से महिलाओं की मर्यादा कम करने वाली, विकृत करने वाली तथा नकारात्‍मक परम्‍परागत रूढ़िबद्ध छवियों और महिलाओं के विरूद्ध हिंसा को समाप्‍त करने के लिए प्रयास करेगी। विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में महिलाओं के लिए समान पहुंच सुनिश्‍चित करने के लिए निजी क्षेत्र के भागीदारों तथा मीडिया नेटवर्क को सभी स्‍तरों पर शामिल किया जाएगा। जेंडर रूढ़िबद्धता को दूर करने तथा महिलाओं और पुरूषों के सन्‍तुलित चित्रांकन को बढ़ावा देने के लिए मीडिया को आचार संहिता, व्‍यावसायिक दिशानिर्देशों तथा अन्‍य स्‍व विनियामक तंत्र विकसित करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाएगा।

प्रचालनात्‍मक कार्यनीतियां
कार्य योजनाएं

10.1 केंद्र सरकार तथा राज्‍य सरकारों के सभी मंत्रालय महिला और बाल विकास के केंद्रीय/राज्‍य विभागों तथा राष्‍ट्रीय/राज्‍य महिला आयोगों से परामर्श के माध्‍यम से इस नीति को ठोस कार्रवाइयों का रूप देने के लिए समयबद्ध कार्य योजनाएं तैयार करेंगे। योजनाओं में निम्‍नलिखित को विशिष्‍ट रूप से शामिल किया जाएगा:

  • I.) वर्ष 2010 तक प्राप्‍त किए जाने वाले मापेय लक्ष्‍य
  • II.) संसाधनों का पता लगाना तथा वचनबद्धता
  • iii) कार्रवाई संबंधी बिंदुओं के क्रियान्‍वयन के लिए उत्‍तरदायित्‍व
  • iv) कार्रवाई संबंधी बिंदुओं तथा नीतियों की दक्ष निगरानी, समीक्षा तथा जेंडर प्रभाव मूल्‍यांकन सुनिश्‍चित करने के लिए संरचनाएं तथा तंत्र
  • v) बजट संबंधी प्रक्रिया में जेंडर परिप्रेक्ष्‍य की शुरूआत करना

10.2 बेहतर आयोजना और कार्यक्रम निर्माण तथा संसाधनों के पर्याप्‍त आबंटन में सहायता प्रदान करने के लिए, विशिष्‍टता प्राप्‍त एजेंसियों के साथ नेटवर्किंग करके जेंडर विकास सूचकांक (जीडीआई) तैयार किए जाएंगे। इनका गहनता से विश्‍लेषण तथा अध्‍ययन किया जाएगा। जेंडर लेखा परीक्षा तथा मूल्‍यांकन तंत्र विकसित करने का कार्य भी इसके साथ-साथ किया जाएगा।

10.3 केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों की सभी प्राथमिक आंकडा संकलन एजेंसियों तथा सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की शोध तथा शैक्षिक संस्‍थाओं से जेंडर संबंधी भिन्‍न-भिन्‍न आंकडों के संकलन का कार्य शुरू किया जाएगा। महिलाओं की स्‍थिति को प्रतिबिम्‍बित करने वाले महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में डाटा तथा सूचना संबंधी अन्‍तरालों को इनके द्वारा तत्‍काल पाटने का प्रयास किया जाएगा। सभी मंत्रालयों/निगमों/बैंकों/वित्‍तीय संस्‍थाओं आदि को जेंडर पृथक आधार पर कार्यक्रमों तथा लाभों से संबंधित डाटा एकत्र करने, मिलान करने, प्रसार करने तथा अनुरक्षित/प्रकाशित करने की सलाह दी जाएगी। इससे नीतियों की सार्थक आयोजना तथा मूल्‍यांकन में मदद मिलेगी।

संस्‍थागत तंत्र

11.1 महिलाओं की उन्‍नति को बढा़वा देने के लिए केंद्रीय तथा राज्‍य स्‍तरों पर विद्यमान संस्‍थागत तंत्रों को सुदृढ़ किया जाएगा। ये उन उपायों के माध्‍यम से किए जाएंगे जो उपयुक्‍त हों तथा अन्‍य बातों के साथ-साथ ये महिलाओं को सशक्‍त बनाने के लिए स्‍थूल नीतियों, विधायन, कार्यक्रमों आदि को कारगर ढंग से प्रभावित करने के लिए पर्याप्‍त संसाधनों, प्रशिक्षण तथा समर्थनीय कौशलों आदि के प्रावधान से संबंधित होंगे।

11.2 इस नीति के प्रचालन की नियमित आधार पर निगरानी करने के लिए राष्‍ट्रीय तथा राज्‍य परिषदों गठन किया जाएगा। प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय परिषद के अध्‍यक्ष होंगे तथा मुख्‍य मंत्री राज्‍य परिषदों के अध्‍यक्ष होंगे और इसकी संरचना व्‍यापक स्‍वरूप की होगी जिसमें संबंधित मंत्रालयों/विभागों, राष्‍ट्रीय तथा राज्य महिला आयोगों, समाज कल्‍याण बोर्डों, गैर सरकारी संगठनों, महिला संगठनों, कारपोरेट क्षेत्र, श्रमिक संघों, वित्‍तीय संस्‍थाओं, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि के प्रतिनधि शामिल होंगे। ये निकाय वर्ष में दो बार इस नीति के क्रियान्‍वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे। राष्‍ट्रीय विकास परिषद को सलाह तथा टिप्‍पणियों के लिए नीति के अंतर्गत आरंभ किए गए कार्यक्रम की प्रगति के संबंध में समय-समय पर सूचित भी किया जाएगा।

11.3 सूचना एकत्र करने तथा प्रसार करने, अनुसंधन कार्य आरंभ करने, सर्वेक्षण करने, प्रशिक्षण तथा जागरूकता सृजन कार्यक्रम आदि क्रियान्‍वित करने के अधिदेश के साथ राष्‍ट्रीय और राज्‍य महिला संसाधन केन्‍द्रों की स्‍थापना की जाएगी। उपयुक्‍त सूचना नेटवर्किंग प्रणालियों के माध्‍यम से इन केंद्रों को महिला अध्‍ययन केंद्रों तथा अन्‍य अनुसंधान और शैक्षिक संस्‍थाओं के साथ जोडा जाएगा।

11.4 यद्यपि जिला स्तर पर संस्‍थाओं को सुदृढ किया जाएगा, बुनियादी स्‍तर पर, आंगनवाड़ी/ग्राम/कस्‍बा स्‍तर पर स्‍वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित तथा सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से महिलाओं की सहायता की जाएगी। महिला समूहों की सहायता की जाएगी ताकि वे अपने आप को रजिस्‍टर्ड सोसाइटियों के रूप में संस्‍थानीकृत कर सकें तथा पंचायत/नगर पालिका स्‍तर पर संघबद्ध हो सकें। बैंकों तथा वित्‍तीय संस्‍थाओं समेत सरकारी तथा गैर सरकारी चैनलों के माध्‍यम से उपलब्‍ध संसाधन आहरित करके तथा पंचायतों/ नगर पालिकाओं के साथ गहन अन्‍तरापृष्‍ठ (संबंध) स्‍थापित करके ये सोसाइटियां सामाजिक तथा आर्थिक विकास संबंधी सभी कार्यक्रमों का सहक्रियात्‍मक क्रियान्‍वयन करेंगी।

संसाधनों का प्रबंधन

12.1 इस नीति को क्रियान्‍वित करने के लिए पर्याप्‍त वित्‍तीय, मानव तथा बाजार संसाधनों की उपलब्‍धता का प्रबंधन संबंधित विभागों, वित्‍तीय ऋण संस्‍थाओं तथा बैंकों, निजी क्षेत्र, सभ्‍य समाज तथा अन्‍य संबद्ध संस्‍थाओं द्वारा किया जाएगा। इस प्रक्रिया में निम्‍नलिखित शामिल होंगे:

(क) जेंडर बजटिंग की कवायद के माध्‍यम से महिलाओं को होने वाले लाभों का आकलन तथा उनसे संबद्ध कार्यक्रमों को संसाधनों का आबंटन। इन स्‍कीमों के तहत महिलाओं को अधिकतम लाभ प्रदान करने के लिए नीतियों में उपयुक्‍त परिवर्तन किए जाएंगे।

(ख) संबंधित विभागों द्वारा उपर्युक्‍त (क) के आधार पर पूर्व में रेखांकित नीति को विकसित करने तथा संवर्धित करने के लिए संसाधनों का पर्याप्‍त आबंटन।

(ग) फील्‍ड स्‍तर स्‍वास्‍थ्‍य, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास के कार्मिकों तथा अन्‍य ग्राम स्‍तरीय पदाधिकारियों के बीच सहभागिता विकसित करना।

(घ) उपयुक्‍त नीतिगत पहलों तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्‍वय से नई संस्‍थाओं के विकास के माध्‍यम से बैंकों तथा वित्‍तीय ऋण संस्‍थाओं द्वारा ऋण संबंधी आवश्‍यकताओं को पूरा करना।

12.2 सभी मंत्रालयों और विभागों से कम से कम 30 प्रतिशत लाभ/निधियां महिलाओं को प्राप्‍त होने का सुनिश्‍चय करने के लिए नवीं योजना में अपनाई गई महिला घटक योजना की कार्यनीति को कारगर ढंग से कार्यान्‍वित किया जाएगा ताकि सभी संबंधित क्षेत्रों द्वारा महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों तथा उनके हितों पर ध्‍यान दिया जा सके। नोडल मंत्रालय होने के कारण महिला एवं बाल विकास विभाग योजना आयोग के साथ मिलकर गुणवत्‍ता एवं मात्रा दोनों दृष्टि से समय-समय पर घटक योजना के क्रियान्‍वयन की प्रगति की निगरानी और समीक्षा करेगा।

12.3 महिलाओं की उननति के लिए कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करने के लिए निजी क्षेत्र के निवेशों को भी श्रृंखलाबद्ध करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

कानून

13.1 इस नीति को क्रियान्‍वित करने के लिए अभिज्ञात विभागों द्वारा मौजूदा विधायी संरचना की समीक्षा की जाएगी तथा अतिरिक्‍त विधायी उपाय किए जाएंगे। इसमें लिंग संबंधी सभी भेदमूलक संदर्भों को दूर करने के लिए निजी, प्रथागत एवं जनजातीय कानूनों समेत विद्यमान कानूनों, अधीनस्‍थ कानूनों, संबद्ध नियमों और कार्यपालक तथा प्रशासनिक विनियमों की समीक्षा भी शामिल होगी। इस प्रक्रिया की योजना 2000-2003 की समयावधि में तैयार की जाएगी। अपेक्षित विशिष्‍ट उपाय सभ्‍य समाज, राष्‍ट्रीय महिला आयोग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग को शामिल करते हुए परामर्शी प्रक्रिया के माध्‍यम से तैयार किए जाएंगे। उपयुक्‍त मामलों में अन्‍य पणधारियों (स्‍टेकहोल्‍डर्स) को भी शामिल करने के लिए परामर्श प्रक्रिया को व्‍यापक बनाया जाएगा।

13.2 सभ्‍य समाज और समुदाय को शामिल करके कानून के कारगर क्रियान्‍वयन को बढ़ावा दिया जाएगा। यदि आवश्‍यक हुआ, तो कानून में उपयुक्‍त परिवर्तन किए जाएंगे।

13.3 इसके अतिरिक्‍त, कानून को कारगर ढंग से क्रियान्‍वित करने के लिए निम्‍नलिखित अन्‍य विशिष्‍ट उपाय किए जाएंगे।

(क) हिंसा और लिंग संबद्ध अत्‍याचारों पर विशेष रूप से ध्‍यान केंद्रित करते हुए, सभी प्रासंगिक कानूनी उपलबंधों का कड़ाई से प्रवर्तन तथा शिकायतों का शीघ्र निवारण सुनिश्‍चित किया जाएगा।

(ख) कार्य-स्‍थल पर यौन उत्‍पीड़न को रोकने तथा दंडित करने, संगठित/अंसगठित क्षेत्र में महिला कार्यकर्त्रियों के संरक्षण और समान पारिश्रमिक अधिनियम एवं न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम जैसे संगत कानूनों के कड़ाई से प्रवर्तन के लिए उपाय किए जाएंगे

(ग) केंद्रीय, राज्‍य और जिला स्‍तरों पर सभी अपराध पुनरीक्षा मंचों तथा सम्‍मेलनों में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों, उनकी घटनाओं, निवारण, जांच, पता लगाने तथा अभियोजन की नियमित रूप से पुनरीक्षा की जाएगी। लड़कियों तथा महिलाओं के विरूद्ध हिंसा तथा अत्याचार से संबद्ध शिकायतें दर्ज करने और पंजीकरण, जांच-पड़ताल और कानूनी कार्यवाही को सुकर बनाने के लिए मान्यताप्राप्‍त, स्‍थानीय, स्‍वैच्‍छिक संगठनों को प्राधिकृत किया जाएगा।

(घ) महिलाओं के विरूद्ध हिंसा और अत्‍याचार को दूर करने के लिए पुलिस स्‍टेशनों में महिला प्रकोष्‍ठों, महिला पुलिस स्‍टेशन परिवार न्‍यायालयों को प्रोत्‍साहन, महिला न्‍यायालयों, परामर्श केंद्रों, कानूनी सहायता केंद्रों तथा न्‍याय पंचायतों को सुदृढ किया जाएगा और उनका विस्‍तार किया जाएगा।

(ङ) विशेष रूप से तैयार किए गए कानूनी साक्षरता कार्यक्रमों में और सूचना का अधिकार कार्यक्रमों के माध्‍यम से महिलाओं के कानूनी अधिकारों, मानवाधिकारों तथा अन्‍य हकदारियों के सभी पहलुओं पर सूचना का व्‍यापक रूप से प्रसार किया जाएगा।

लिंग (जेंडर) संवेदीकरण

14.1 नीति और कार्यक्रम निर्माताओं, क्रियान्‍वयन और विकास एजेंसियों, कानून प्रवर्तन तंत्रों और न्‍याय पालिका, तथा गैर सरकारी संगठनों पर विशेष रूप से ध्‍यान केंद्रित करते हुए, राज्‍य के कार्यपालक, विधायी तथा न्‍यायिक प्रकोष्‍ठों के कार्मिकों को प्रशिक्षित करने का कार्य आरंभ किया जाएगा। अन्‍य उपायों में निम्‍नलिखित शामिल होंगे:

(क) लिंग संबंधी मुद्दों तथा महिलाओं के मानवाधिकारों के बारे में सामाजिक जागरुकता को बढावा देना

(ख) लिंग संबंधी शिक्षा तथा मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों को शामिल करने के लिए पाठ्यचर्या तथा शैक्षिक सामग्रियों की पुनरीक्षा करना

(ग) सभी सरकारी दस्‍तावेजों तथा विधिक लिखतों से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले सभी संदर्भों को हटाना

(घ) महिलाओं की समानता तथा अधिकारिता से संबंधित सामाजिक संदेशों को संप्रेषित करने के लिए जन संचार माध्‍यमों के भिन्‍न-भिन्‍न रूपों का प्रयोग करना।

पंचायती राज संस्‍थाएं

15.1 भारतीय संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों (1993) ने राजनीतिक अधिकारों की संरचना में महिलाओं के लिए समान भागीदारी तथा सहभागिता सुनिश्‍चित करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण सफलता दिलाई है। पंयायती राज संस्थाएं सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की सहभगिता बढ़ाने की प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाएंगी। पंचायती राज संस्‍थाएं तथा स्‍थनीय स्‍वशासन संस्‍थाएं बुनयादी स्‍तर पर राष्‍ट्रीय महिला नीति के क्रियान्‍वयन तथा निष्‍पादन में सक्रिय रूप से शामिल होंगी।

स्‍वैच्‍छिक क्षेत्र के संगठनों के साथ भागीदारी

16.1 महिलाओं को प्रभावित करने वाली सभी नीतियों तथा कार्यक्रमों के निर्माण, क्रियान्‍वयन, निगरानी तथा पुनरीक्षा में शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान से संबंधित काम करने वाले स्‍वैच्‍छिक संगठनों, संघों, परिसंघों, श्रमिक संघों, गैर सरकारी संगठनों, महिला संगठनों तथा संस्थाओं की सहभागिता सुनिश्‍चित की जाएगी। इस प्रयोजनार्थ, उन्‍हें संसाधन और क्षमता निर्माण से संबंधित उपयुक्‍त सहायता पदान की जाएगी तथा महिलाओं की अधिकारिता की प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी को सुकर बनाया जाएगा।

अन्तर्राष्‍ट्रीय सहयोग

17.1 इस नीति का उद्देश्‍य महिला अधिकारिता के सभी क्षेत्रों में अंतर्राष्‍ट्रीय बाध्‍यताओं/प्रतिबद्धताओं जैसे कि महिलाओं के विरूद्ध सभी रूपों के भेदभाव पर अभिसमय (सीईडीएडब्‍ल्‍यू), बाल अधिकारों पर अभिसमय (सीआरसी), अंतर्राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या एवं विकास सम्‍मेलन (आईसीपीडी+5) तथा इस तरह के अन्‍य लिखतों का क्रियान्‍वयन करना है। अनुभवों की हिस्‍सेदारी, विचारों तथा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान, संस्‍थाओं तथा संगठनों के साथ नेटवर्किंग के माध्‍यम से तथा द्विपक्षीय और बहु-पक्षीय भागीदारियों के माध्‍यम से महिलाओं की अधिकारिता के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय, क्षेत्रीय तथा उप क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहित करने का कार्य जारी रहेगा।

Hindi
Year: 
2015